
दिनाँकः 29 जनवरी 2023
श्री राममूर्ति सिंह ‘पाल’
धवारी गली नं. 05, गंगापुरम कालोनी
सतना, मध्य प्रदेश
मो. 93997 75281, 86028 49095
शुभ विवाह की हार्दिक बधाइयाँ
आदरणीय महोदय,
आपके द्वारा प्रेषित प्रेरणादायी निमंत्रण कार्ड से यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि परमपिता परमात्मा की कृपा एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से आपके लाडले सुपुत्र चि. इं. कीर्ति संग सौ. पूजा का तिलकोत्सव 7 फरवरी तथा ‘शुभ विवाह’ 9 फरवरी 2023 को आयोजित है। इस शुभ अवसर पर आमंत्रित करने के लिए हम दोनांें आपके अत्यन्त आभारी हंै। आपने पारिवारिक एकता तथा सामाजिक दायित्वों की पूर्ति हेतु हर पल जीते हुए पारिवारिक एवं सामाजिक एकता तथा वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श को जीवन्त स्वरूप प्रदान किया है। इस हेतु समाज सदैव आपका ऋणी रहेगा। साथ ही समाज सदैव आपके महान व्यक्तित्व से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन ग्रहण करता रहेगा।
चि. इं. कीर्ति की पूज्यनीया दादीजी स्व. श्रीमती सुमित्रा देवी, पूज्यनीय दादाजी श्री बनवारी लाल, आदरणीया माताजी श्रीमती शकुन्तला जी के साथ ही आपने बड़े लाड़-प्यार से ही नहीं वरन् परमात्मा के महान गुणों से अपने प्राणों से भी प्रिय चि. इं. कीर्ति को उच्च आध्यात्मिक संस्कारों से संवारा है। साथ ही आप सभी ने चि. इं. कीर्ति को अपने त्यागमय, कर्तव्यपरायण एवं सेवामय सरल जीवन के महान अनुकरणीय गुणों एवं आदर्शांे से युक्त बनाया है। हमें पूरा विश्वास है कि नव वर-वधु चि. इं. कीर्ति एवं सौ. पूजा आप लोगों के आशीर्वाद से घर को स्वर्ग बनायेंगे। हम नव वर-वधु के सुखी, सफल एवं समृद्ध वैवाहिक जीवन हेतु पारिवारिक एकता की एक सी.डी. व एक पुस्तिका के साथ कुछ विचार संलग्न पम्पलेट में प्रकाशित लेख ‘एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभो!’ के माध्यम से आशीर्वाद स्वरूप प्रेषित कर रहे हैं:-
1. विवाह दो शरीरों और आत्माओं का मिलन है। शरीर और आत्मा दोनों ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित रहते हैं। यह मिलन
आध्यात्मिक मिलन है जो आजीवन जुड़ा रहता है। वही विवाह सफल होता है जहाँ सांसारिक और आध्यात्मिक बन्धन दोनों का सामंजस्य है।
2. विवाह दो के बीच नहीं तीन अर्थात वर-वधु तथा परमात्मा के बीच होता है। परमात्मा को साक्षी मानकर वर-वधु विवाह की सारी प्रतिज्ञाऐं करते हैं।
3. विवाह स्त्री-पुरूष का आत्मिक और हार्दिक मिलन है। मस्तिष्क और हृदय की आपसी स्वीकृति है। स्त्री-पुरूष दोनों का कर्तव्य है कि वे दोनांे एक दूसरे के स्वभाव और चरित्र को समझें। दोनों के आपसी सम्बन्ध अटूट हों। ईश्वर को साक्षी मानकर एक दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार तथा एक अच्छा जीवन साथी बनने का उनका एकमात्र लक्ष्य होना चाहिये।
4. वैवाहिक बन्धन नैतिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक हैं। वैवाहिक बन्धन में केवल शारीरिक बन्धन को महत्व न देकर आध्यात्मिक गुणों के द्वारा ईश्वर की निकटता के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। तथापि ईश्वर द्वारा निर्मित इस सृष्टि को आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।
परमपिता परमात्मा की साक्षी में नव वर-वधू की आपसी सहमति:-
1. आज से हम एक-दूसरे के साथ अपने व्यक्तित्व को मिलाकर नये जीवन की सृष्टि करते हैं।
2. पूरे जीवन भर एक-दूसरे के मित्र बनकर रहेंगे और बड़ी से बड़ी कठिनाईयांे एवं विपत्तियों में एक-दूसरे को पूरा-पूरा विश्वास, स्नेह तथा सहयोग देते रहंेगे।
3. जीवन की गतिविधियों के निर्धारण में एक-दूसरे के परामर्श को महत्व देंगे।
4. एक-दूसरे की सुख-शांति तथा प्रगति-सुरक्षा की व्यवस्था करने में अपनी शक्ति, प्रतिभा, योग्यता तथा साधनों आदि को पूरे मनोयोग एवं ईमानदारी से लगाते रहेंगे।
5. दोनों अपनी ओर से श्रेष्ठ व्यवहार बनाए रखने का पूरा-पूरा प्रयत्न करेंगे। मतभेदों और भूलों का सुधार शांति के साथ करेंगे। किसी के सामने एक-दूसरे को लांछित एवं तिरस्कृत नहीं करेंगे।
6. दोनों में से किसी के असमर्थ या विमुख हो जाने पर भी अपने सहयोग और कत्र्तव्यपालन में कमी नहीं आने देगे।
7. कत्र्तव्यपालन एवं लोकहित जैसे कार्यो में एक-दूसरे के सहायक बनेंगे।
8. एक-दूसरे के प्रति पतिव्रत तथा पत्नीव्रत धर्म का पालन करेंगे। इसी मर्यादा के अनुरूप अपने विचार, दृष्टि एवं आचरण विकसित करेंगे।
इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
भवदीय
श्रीमती उमाजी पाल
प्रदीपजी पाल,
अध्यक्ष, जय जगत फाउण्डेशन एवं
एडीटर इन चीफ,
पाल वल्र्ड टाइम्स न्यूज एवं वैवाहिक वेबसाइट
प्रधान कार्यालय - बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2, एल्डिको,
रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
ॅींजेंचच रू 9839423719
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