धनगर समाज के प्रथम विधायक व प्रथम सांसद महामना बंशीधर धनगर की 114वीं जयंती पर विशेष

 

    पूर्व सांसद, प्रखर समाजवादी विचारक व प्रख्यात समाज सुधारक महामना बंशीधर धनगर जी का जन्म 20 अक्टूबर 1906  को नगला रामसुंदर, जसवंतनगर, इटावा, उत्तर प्रदेश में किसान परिवार में हुआ था। वे मेधावी छात्र रहे व इटावा जिला में धनगर समाज के प्रथम स्नातक बने और इण्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए। वे अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भी शामिल हुए। उन्होंने साइमन कमीशन में बाबासाहब अम्बेडकर को पूरा सहयोग दिया और उत्तर प्रदेश में धनगर सहित अनेक जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कराया।

    वे  सरकारी सेवा में रहते हुए शूद्रों व  महिलाओं के उत्थान तथा समतामूलक सामाजिक सुधारों हेतु संघर्षरत रहे। उन्होंने शोषितों,  पीड़ितों, वंचितों, शूद्रों व महिलाओं की दुर्दशा से द्रवित होकर सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया और सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये। पहले विधायकी  आम चुनाव सन 1952 में वे  मैनपुरी जिला की करहल विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बने और कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जप्त कराते हुए धनगर समाज के प्रथम विधायक बने। दूसरे सांंसदी आम चुनाव सन 1957 में मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की तरफ से उन्हें चुनाव लड़ने का प्रस्ताव व केंद्रीय मंत्री बनाने का लालच तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिया। परन्तु वे अपने सिद्धांतों, नीतियों व विचारों पर अडिग रहे और सोशलिस्ट पार्टी से ही चुनाव लड़कर भारी मतों से विजयी होकर धनगर समाज के प्रथम सांसद बने। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मैनपुरी में समाजवाद का जो सामाजिक व राजनीतिक माहौल बनाया था वह अभी भी वैसा ही बना हुआ है। इसीलिए वहां अभी भी समाजवाद की ही राजनीति सफल हो रही है।

    उन्होंने मजदूरों, किसानों, दलितों,  पिछड़ों, महिलाओं इत्यादि वर्गों की समस्याओं को विधानसभा व लोकसभा में उठाकर उनकी आवाज को बुलन्द किया। उन्होंने 'शोषित संदेश' नामक मासिक पत्रिका का सफल सम्पादन किया जिसमें उनके समाजवादी विचार प्रखर हुए। यह पत्रिका जनता की समस्याओं को प्रकाशित कर जनता की असली हमदर्द व हितैषी बन गयी। उन्होंने समतामूलक समाज के निर्माण हेतु जातिवादी व पूंजीवादी व्यवस्था का घोर विरोध किया तथा मानववादी व समाजवादी व्यवस्था का प्रबल समर्थन किया।

     जातिगत सामाजिक व्यवस्था और जातिगत संवैधानिक आरक्षण जैसे मुद्दों पर उनको खास जानकारी व गहरा अनुभव था। इसीलिए बाबासाहब अम्बेडकर अपने आवास पर जब भी उन्हें चर्चा हेतु बुलाते तब वे जरूर ही जाते। पेरियार ई. वी. रामासामी नायकर जब भी उत्तर प्रदेश में आते थे तब वे उनसे जरूर ही मिलते वह सामाजिक चर्चा भी करते। उनका जीवन सादगी भरा, समाजवादी विचारों से परिपूर्ण व समाज हेतु समर्पित रहा। वे इसी हेतु आजीवन संघर्ष करते हुए 18 अप्रैल 1987 को परिनिर्वाण प्राप्त हो गये। कृतज्ञ धनगर समाज उन्हें सादर नमन करता है।

- रामलखन श्रमशील धनगर
 पेरियार चौराहा, खानपुर रोड,
 झींझक, कानपुर देहात (उ.प्र.) पिन- 20 9302
 मो.नं.- 99 35 32 18 18

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