अब देश को सोचना ही पड़ेगा कि धर्म,वर्ग,जाति, से परे समतामूलक समाज का निर्माण कैसे करें। भारतीय राजनीति पार्टियों,राजनेताओ ने चुनावी नारे तो बहुत दिये।समाज,देश को एक करने के लिए लेकिन धरातल पर यह लागू क्यों नहीं हो रहा है इस पर विचार करने कि जरूरत है क्या ये एक धर्म एक जाति,एक वर्ग के मतों से जीत कर आते है। जब शासक, शासन सत्ता पर काबिज हो जाते है तो इनके सुर क्यों बदल जाते है ये लोग धर्म,वर्ग,जाति देखकर क्यू भारतीय समाज को आपस में भेद करवाते है आप सब लोग देश के गरिमामय मंदिर(संसद भवन,विधानसभा) में जाते है और देश,प्रदेश का नेतृत्व करते है इस पद पर रह कर आपको सबको एक दृष्टि से देखने की जरूरत है सबको समान अवसर उपलब्ध करवानी आपकी जिम्मेदारी होनी चाहिए। उसमे धर्म,जाति, वर्ग आड़े नहीं आनी चाहिए।
आतंकवादी,अपराधी, कुकर्मी, हत्यारा, दुष्कर्मी इनकी कोई धर्म,वर्ग,जाति नहीं होती है ये लोग हर धर्म जाति वर्ग में होते है सरकार में कोई भी बैठा हो इनका साथ नहीं देना चाहिए। अगर सरकारें ही इनका साथ देंगी तो इनका हौसला सातवें आसमा पर होगा।तब अराजकता ही अराजकता होगी।समाज में शांति की कोई जगह नही रह पाएंगी। लेकिन दुर्भाग्य है कि सब जगह धर्म,जाति,वर्ग देखकर ही शासन चलता दिखायी दे रहा है ऐसे लोग राष्ट्र भक्त नहीं देश द्रोही होते है जो न्याय,शिक्षा,रोजगार, में धर्म,जाति,वर्ग को देखते है।ऐसे लोगों को समय रहते सोचने की जरूरत है नहीं तो ये लोकतंत्र है यहाँ आप हमेशा के लिए नहीं है जनता ही आपको शासन पर बैठाती है और यहीं आपको सत्ता से हटा देगी। जय हिंद,जय जगत- श्रवण पाल (अन्नू) वाराणसी उत्तर प्रदेश
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