प्रबुद्ध फाउंडेशन की अनोखी पहल- बहुजन बाहुल्य बस्तियो में प्रबुद्ध पाठशाला की शाखा खोलकर जूनियर तक के बच्चों को कुशाग्र बनायेगा

प्रबुद्ध फाउंडेशन की अनोखी पहल-
बहुजन बाहुल्य बस्तियो में प्रबुद्ध पाठशाला की शाखा खोलकर जूनियर तक के बच्चों को कुशाग्र बनायेगा
नृत्य, नाटक व गायन का प्रशिक्षण देकर बहुजन संस्कृति को करेगा पुनर्स्थापित
प्रयागराज 14 फरवरी, प्रयागराज की एकमात्र संस्था/ ट्रस्ट प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा एक ओर जहां बहुजन साहित्य, कला और संस्कृति के साथ-साथ बहुजन रंगमंच के संरक्षण, संवर्धन और उसके विकास के साथ-साथ उसके पुनरस्थापत्य के लिए सतत कार्य कर रही है तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्त्रों में स्थित बहुजन बाहुल्य बस्तियों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 5 से 15 आयु वर्ग के बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए बहुजन बाहुल्य बस्तियों के मध्य प्रबुद्ध पाठशाला की शाखा खोली जा रही है। अभी तक प्रयागराज के यमुनापार की तहसील बारा के अंतर्गत आने वाला थाना घूरपुर की ग्रामसभा दौना, पचखरा थाना बारा की ग्रामसभा छिड़िया के साथ-साथ तहसील करछना के अन्तर्गत आने वाले थाना करछना की ग्रामसभा इसौटा कथा कौंधियारा थाना की ग्रामसभा बड़हा में प्रबुद्ध पाठशाला की शाखाएं खोली गई है।
प्रबुद्ध फाउंडेशन के प्रबंधक/ सचिव उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने पूछे जाने पर बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की पठन-पाठन की व्यवस्था बद से बस्तर हो गई है।जूनियर के बच्चे जिन्हें अच्छी तरह से दस तक का पहाड़ा नहीं आता। दो अंक का गुड़ा, जोड़, घटाना भी नहीं आता। बेशिक शिक्षा विभाग जूनियर तक के बच्चों को बिना अनुत्तीर्ण किये सबको उत्तीर्ण कर देना है। ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च प्राथमिक तक के विद्यालयों में अधिकतर 95 प्रतिशत बच्चे बहुजन समाज से होते हैं जिनके शैक्षणिक विकास के लिए प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा बाहुजन बाहुल्य बस्तियो में प्रबुद्ध पाठशाला संचालित की जा रही है। यह पाठशाला प्रत्येक रविवार को दोपहर 12:00 से अपराह्न 4:00 बजे तक तथा प्रतिदिन अपराह्न 4:00 से शाम 6:00 बजे तक चलेगी। एक ओर जहां प्रबुद्ध पाठशाला बहुजन समाज के बच्चों का गणित, विज्ञान व अंग्रेजी मजबूत कर उन्हें कुशाग्र बनायेगा तो वहीं दूसरी ओर बहुजन साहित्य, कला और संस्कृति के साथ साथ बहुजन रंगमंच के संरक्षण संवर्धन और उसके विकास के साथ-साथ बहुजन रंगमंच के पुनरस्थापत्य हेतु बहुजन बाहुल्य बस्तियों के मध्य 7 से 17 आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास हेतु नृत्य, नाटक व गायन का भी प्रशिक्षण देकर बहुजन संस्कृति को पुनरस्थापित किया जाएगा। बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर निकालकर गांव से बड़े मंच तक पहुंचाने का भी काम किया जाएगा। यह पाठशाला बहुजन समाज के बच्चो को एक ओर जहां अंधविश्वास, पाखंड, कुरीतियां और कर्मकांड जैसी परंपरा से मुक्त कराकर भारतीय संविधान के अनुरूप वैज्ञानिक सोच पर आधारित बच्चों को तार्किक और विज्ञानवाद से रूबरू कराकर भारत की विलुप्त हो चुकी प्राचीन श्रवण संस्कृति जिसे आज बहुजन संस्कृति के नाम से जाना जाता हैं के पुनरस्थापत्य हेतु कार्य किया जाएगा।
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