
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) को लिखे एक पत्र को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा सचिव (Maharashra Assembly Secretary) को नोटिस जारी किया है. सर्वोच्च अदालत ने इसका जवाब 15 दिन के भीतर देने के आदेश दिए हैं. दरअसल मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे (Chief Justice SA Bobde) की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब नाराजगी जाहिर की जब अर्णब के वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) ने महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खत में लिखी गई बातों के बारे में जानकारी दी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
बेंच ने कहा कि वह आश्चचर्यचकित है कि खत में अर्णब से कहा गया कि यह नोटिस गोपनीय है और इसके बारे में कोर्ट में कोई जानकारी न दी जाए. कोर्ट ने कहा कि खत की भाषा अर्णब गोस्वामी को धमकाने वाली है. ये बेहद गंभीर मामला है और कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की पूरी अर्हता रखता है. इस तरह के स्टेंटमेंट असाधारण हैं और न्याय प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा करते हैं. खत की भाषा चेतावनी भरी है क्योंकि क्योंकि पेटिशनर ने इस कोर्ट का रुख किया. उसे कोर्ट न जाने के लिए भी धमकाया गया. पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं. सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई.
मामले में गिरफ्तारी पर भी लगाई रोकपीठ ने इस मामले अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर भी रोक लगाई है. कोर्ट ने विधानसभा सचिव से कहा है कि 15 दिन के भीतर वो बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही की जाए. कोर्ट ने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को कोर्ट में जाने देने से रोकना गंभीर मामला है.
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