15 जुलाई - विश्व युवा कौशल दिवस पर हार्दिक बधाइयाँ!


विश्व का सबसे बड़ा युवा भारत अपने संकल्पित कौशल से इनोवेशन की 
21वीं सदी में ‘जगत गुरू’ बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है! 
- प्रदीप कुमार सिंह ‘पाल’, लेखक
    विश्व युवा कौशल दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 नवम्बर 2014 को श्रीलंका के प्रस्ताव पर की गयी थी। महासभा ने 15 जुलाई को प्रतिवर्ष विश्व युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के सभी देशों से यह आग्रह किया कि वे अपने देश में युवाओं को कौशल विकास में सहायता प्रदान करें ताकि ये युवा आगे चलकर बेहतर राष्ट्र तथा विश्व के निर्माण में योगदान दे सकें। 21वीं सदी की युवा पीढ़ी सारे विश्व में घूम-घूमकर अपनी सर्वोत्तम प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है। इनोवेशन की 21वीं सदी में वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार रूप लेने की ओर से तेजी से बढ़ रही है। 
    संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित यह महत्वपूर्ण दिवस तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए कौशल के विकास के महत्व पर अधिक जागरूकता और विश्व बन्धुत्व की भावना विकसित करने के लिए प्रयासरत है। यह उम्मीद की जाती है कि यह दुनिया भर के युवाओं के लिए युगानुकूल कौशल तथा उसके अनुरूप रोजगारों में वृद्धि करने में योगदान देगा।    
    संसार को आश्चर्यचकित कर देने वाले युवा संन्यासी स्वामी विवेकानंद अध्यात्म एवं विज्ञान में समन्वय एवं आर्थिक समृद्धि के प्रबल समर्थक थे। ‘उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ का संदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद थे। स्वामी जी ने युवाओं से कहा कि जीवन में एक विचार लें उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें। उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचार के लिए, आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो और दूसरे सभी विचारों को छोड़ दे। यही उच्चतम सफलता पाने का सबसे बेहतर तरीका हैं। उन्होंने सन् 1897 में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था जगत में बड़ी-बड़ी विजयी जातियां हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की ही विजय गाथा बताया है। अब समय आ गया है भारत फिर से वैज्ञानिक अध्यात्म के बलबुते ‘जगत गुरू’ के रूप में राह से भटके विश्व का पथ प्रदर्शन करे।
    भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक तथा युवा देश है। भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 14 वर्ष से लेकर 40 वर्ष से कम हैं। यह एक ऐसा वर्ग है जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से सबसे ज्यादा ताकतवर है। इसका कारण यह है कि हमारे देश की परम्परा योग और अध्यात्म की रही है। योग और अध्यात्म की परम्परा में पले-बढ़े देश के युवा अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व के विकास के लिए हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं। आज भारत का युवा अध्यात्म तथा विज्ञान के समन्वय के बलबुते विश्व में हर क्षेत्र में उच्चतम ऊंचाईयों को छू रहा है। 
    विश्व युवा कौशल दिवस पर कुछ महापुरूषों का जीवन हमें प्रेरणा देगा। विज्ञान तथा अध्यात्म के समन्वय से विश्व के सबसे बड़े नोबेल पदक विजेता 8 भारतीयों तथा भारतीय मूल के महापुरूषों के विवरण इस प्रकार हंै:- (1) महान कवि और रचयिता गुरूवर रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरूस्कार पाने वाले एशिया एवं भारत के पहले व्यक्ति थे। गुरूवर को साहित्य के क्षेत्र में उनकी काव्य पुस्तक ‘गीतांजलि’ के लिए वर्ष 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (2) महान वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। (3) भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक डा. हरगोबिंद खुराना को आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या करने के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (4) अल्बीनियाई मूल की भारतीय मदर टेरेसा को 45 सालों तक गरीब, असहाय और मरीजों की सेवा करने के लिए वर्ष 1979 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
    इसके अलावा (5) डा. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 1983 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। डा. चंद्रशेखर भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक होने के साथ ही एक विख्यात खगोल भौतिक शास्त्री थे। (6) श्री अमत्र्य सेन को अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 1998 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अकाल में भोजन की व्यवस्था के लिये अपनी थ्योरी दी। (7) भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक श्री वेंकटरमन रामाकृष्ण को वर्ष 2009 में रसायन शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (8) श्री कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 में बाल अधिकारों की रक्षा एवं बाल श्रम के विरूद्ध लड़ाई के लिए नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बचपन बचाओ आन्दोलन की स्थापना की और विश्व भर में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं।
    न्यूयार्क के एक समाचार के अनुसार तीन महिलाओं समेत भारतीय मूल के चार लोगों को विश्वविख्यात फाॅर्चून मैगजीन की व्यवसाय के क्षेत्र में 40 सबसे प्रभावशाली और प्रेरणादायक युवाओं की सूची में शामिल किया गया है। ये वे लोग हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम है। इंस्टाग्राम के सह-संस्थापक और सीईओ केविन सिस्ट्राम (34) और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (34) के बीच पहले पायदान के लिए मुकाबला बराबरी का रहा। फाॅर्चून की 40 अंडर 40 सूची में दोनों को पहले स्थान पर रखा गया है। 
    वहीं, अमेरिकी की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स की मुख्य वित्त अधिकारी भारतीय मूल की 39 वर्षीय सुश्री दिव्या सूर्यदेवरा को सूची में चैथे पायदान पर रहीं। इसके बाद विमेयो की सीईओ सुश्री अंजलि सूद (14वें), राबिनहुड के सह-संस्थापक और सह-सीईओ श्री बैजू भट्ट (24वें) और फीमेल फाउंडर्स फंड की संस्थापक सहयोगी सुश्री अनु दुग्गल (32वें) को रखा गया है। फाॅर्चून मैगजीन ने पहली बार सबसे प्रभावशाली और युवा महानायकों की ‘पूरक सम्मान सूची’ तैयार की है। ये लोग वित्त और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करके व्यवसाय में बदलाव ला रहे हैं। सूची में रिप्पल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री आशीष बिड़ला, डिजीटल वालेट क्वाइनबेस के मुख्य तकनीकी अधिकारी श्री बालाजी श्रीनिवासन, एमआईटी डिजीटल मुद्रा पहल की निदेशक सुश्री नेहा नरूला और क्वाइनबेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष (परिचालन) सुश्री टीना भटनागार भी शामिल हैं। फाॅर्चून मैगजीन की व्यवसाय के क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली और प्रेरणादायक युवाओं की सूची में तीन भारतीय मास्टरकार्ड के सीईओ श्री अजय बंगा, माइक्रोसाफ्ट के सीईओ श्री सत्या नडेला और हरमन इंटरनेशनल के चेयरमैन श्री दिनेश पालीवाल के नाम भी शामिल हो चुके हैं।
    न्यूयार्क. के एक समाचार के अनुसार विश्वविख्यात टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में तीन भारतीयों को शुमार किया है। इनमें रिलायंस इडस्ट्रीज के चेयरमैन श्री मुकेश अंबानी, भारत में एलजीबीटीयू (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के हक के लिए लड़ने वाली वकील अरूंधति काटजू और सुश्री मेनका गुरूस्वामी शामिल हैं। 
    देश को विकसित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को पूरे भारत में लगभग 40 करोड़ भारतीयों को विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत, 2022 तक प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से ‘कुशल भारत - कौशल भारत’ योजना को शुरू किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित करके उनकी कार्य क्षमता को बढ़ावा देना है। कौशल विकास योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के युवाओं के कौशल के विकास के लिये उन क्षेत्रों में अवसर प्रदान करना है जो कई वर्षों से अविकसित हंै। इसके साथ ही साथ विकास करने के नये क्षेत्रों की पहचान करके उन्हें विकसित करने के प्रयास करना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में, “कौशल विकास योजना, केवल जेब में रूपये भरना ऐसा नहीं है, बल्कि गरीबों के जीवन को आत्मविश्वास से भरना है।” 
    मेक इन इंडिया अभियान के तहत भारत में नए उद्योग-धंधे लग रहे हैं जो नये रोजगार दिलाने में सफलता हासिल कर रहा है। इसके लिए (1) युवा अपने आसपास पीएम कौशल विकास योजना द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र खोजें। पता करें, आपके मुताबिक कोर्स उपलब्ध है या नहीं। (2) पीएम कौशल विकास योजना के प्रशिक्षण केंद्र के बारे में जानकारी के लिए आप टोल फ्री नंबर 088000-55555 पर बात कर सकते हैं।     
    विश्व परिवर्तन मिशन के संस्थापक श्री भरत गांधी विश्वात्मा के अनुसार यदि हम प्रत्येक परिवार में समृद्धि लाना चाहते हैं तो वोटरशिप कानून बनाना पड़ेगा, और यदि हम विश्व में शान्ति लाना चाहते हैं तो संयुक्त राष्ट्रीय सरकार का गठन समय रहते करना होगा। सभी देश अब एक बनेंगे तथा सारे संसार के लिए समान रूप से लागू होने वाले प्रभावशाली कानून बनायेंगे। पारिवारिक एकता के द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम् - जय जगत के विचारों में विश्व की सभी समस्याओं के समाधान निहित हैं! मानव जाति के अन्तिम लक्ष्य एक वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था के द्वारा सारे विश्व में आध्यात्मिक सभ्यता के गठन से हम बस एक कदम दूर है। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। 

पता- बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2, एल्डिको, रायबरेली रोड,
लखनऊ-226025 मोबाइल 9839423719

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