ये कैसी दीवाली आई है,


ये कैसी दीवाली आई है,
दीवाली है पर,
      दिलदार नहीं ।
खुशी है पर,
       दमदार नहीं ।
ये कैसी दीवाली आई है,
फटाके है पर,
           ध्वनि नहीं ।
फुलझड़ी है पर,
          चमक नहीं ।
ये कैसी दीवाली आई है,
मानव है पर,
         मोहब्बत नहीं ।
प्यार है पर,
            मिलन नहीं ।
ये कैसी दीवाली आई है,
अब तो हम पर,
              दया करो ।
कुछ गलती हो,
            तो छ्मा करो ।
अब तो करोना से,
                मुक्त करो ।
ये कैसी दीवाली आई है, 
ये कैसी दीवाली आई है। 

लेखक.
महेश पाल
गांधीधाम (कच्छ)
9426451999
 

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