
आओ मिलकर दीप जलाए,
समाज में छाए अंधियारे को,
आओ मिलकर दुर भगाए ।
आओ मिलकर दीप जलाए,
जीवन खुशियों से महकाएं,
सारा समाज खुशियां मनाएं।
आओ मिलकर दीप जलाए,
सारे गमों को भुल जाएं,
समाज को अपने आगे लाए ।
आओ मिलकर दीप जलाए,
भूले - बिसरे सभी अपनो को,
हम अपने दिल में बसाए ।
आओ मिलकर दीप जलाए,
मन से मन का मिलन कराए ।
आओ मिलकर दीप जलाए।
आओ मिलकर दीप जलाए ।।
लेखक:
महेश पाल
गांधीधाम (कच्छ)
गुजरात
9426451999
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