दिल के दीप जलायें

 

आई दीपावली सुहानी!

         दिल  के दीप जलायें!!

मिट  जाये  अंधियारा, 

         घर-घर खुशियां आयें।।

मानव-मानव एक बने,

         एक विश्व की भाषा हो।

एक विश्व का न्यायालय हो

          मन में नहीं निराशा हो।।

नर-नारी समान हो जाएं,

        जातिवाद का दूर दंश हो।

मिटे गरीबी जग से,

        मानवता का एक वंश हो।।

आई दीपावली.....
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       दिल  के दीप.......!!
     --????घनश्याम सिंह

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