एक शिक्षक, जिसने जगाई शिक्षा व पर्यावरण चेतना की अलख.....

 

 

                        वर्ष 2001 से लगातार ग्रामीण परिवेश ढूंढ़ाड के अमरसरवाटी क्षेत्र की ढाणी नया कुआं गांव रानीपुरा,शाहपुरा, जयपुर में जन्मे पर्यावरणविद शिक्षक ने सतत रूप से विगत 23 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अलख जगाने का काम जारी रक्खे हुआ है । शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा, शाहपुरा, जयपुर ने जीव विज्ञान शिक्षण के साथ-साथ अपनी जननी की प्रेरणा से जन्म से ही अपने स्वयं के खर्चे से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में छायादार एवं फलदार पौधों का रोपण,वितरण तथा उनके संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। शिक्षक द्वारा एक अनोखी परंपरा का निर्माण किया जाता है जिसमें किसी भी वर वधु के शादी के अवसर पर जोड़े सहित उनके परिजनों अथवा किसी के जन्मोत्सव पर अथवा विद्यालयों में नवीन प्रवेश पर विद्यार्थियों को बतौर स्मृति एक पौधा गिफ्ट में दिया जाता हैं । साथ ही शिक्षक द्वारा जयपुर ग्रामीण ढूंढाड सहित संपूर्ण मेवाड़ अंचल में मृतप्राय हो चुके प्राकृतिक जल स्रोतों जिनमें नदियों, तालाबों व बांधों की जल भराव एवं प्रवाह क्षेत्र पर हुए अतिक्रमण को हटाने की पुरजोर संघर्ष जारी रक्खे हुआ हैं ।

                शिक्षक द्वारा राजस्थान की जैव विविधता के लिए खतरा बन चुकी प्रमुख खरपतवार विलायती बबूल, गाजर घास और लैंटाना केमारा के उन्मूलन की मुहिम छेड़कर जनचेतना फैला रहे हैं । सामोता द्वारा विश्व की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली में हो रहे अवैध खनन, अवैधानिक होटल व्यवसाय, अवैध औद्योगिक इकाइयों का संचालन, खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी, कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों के प्रचलन तथा गोचर भूमि पर अतिक्रमण हटाने की मुहिम को जारी रखे हुए हैं । शिक्षक द्वारा लगातार दो दशकों से क्षेत्र के प्रतिभावान विद्यार्थीयो को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन करवाया जाता है ।

                शिक्षक के पर्यावरणहितकारी कार्यों के लिए राजसमंद के पूर्व सांसद हरिओम सिंह राठौड़ एवं जिला कलेक्टर श्री श्याम लाल गुर्जर द्वारा "राजस्थान पर्यावरण गुरु सम्मान" भी दिया जा चुका है । शिक्षक की लेखनी एवं काव्य रचनाओं के लिए प्रतिवर्ष प्रदेश के प्रमुख समाचार पत्र पत्रिकाओं में आलेख भी प्रकाशित होते हैं, जिन्हें लोगों द्वारा खूब सराहा जाता है । शिक्षक की प्रेरणा स्रोत एवं तरुण जन कल्याण संस्थान की संस्थापक जननी श्रीमती गोठी देवी सामोता रानीपुरा का कहना है कि प्रकृति में ही परमात्मा का वास है । इसलिए हमें हमारी प्रकृति का संरक्षण करना होगा और "हमारा पर्यावरण, हमारी जिम्मेदार" को समझाते हुए संपूर्ण प्रदेश में पर्यावरण संगोष्ठियों का आयोजन करवाया जाकर आम जन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने की महती आवश्यकता है ।

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