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मेरी मात अहिल्याबाई
मेरी मात अहिल्याबाई
तुम सम कोई नारी नाहीं
नारी शक्ति को तुमने जगाया
शत्रुओं को सबक सिखाया
तुम बनके शेरनी दहाड़ी
तुम सम कोई नारी नाहीं।
मंदिरों को तुमने बचाया
दान धर्म जगत में बढ़ाया
अवतार लिया महामाई
तुम सम कोई नारी नाहीं
पीर प्रजा की देखी
लोक धर्म हेतु जीतीं
देवी का दर्जा पाईं
तुम सम कोई नारी नाहीं
चरणों में शत शत नमन करूँ
जीवन अपना मैं धन्य करूँ
लोकमाता कहलाईं
तुम सम कोई नारी नाहीं
अतिशय पावन तेरा यश
मां दशों दिशाओं में गूंजे है
सुरभित तेरी सुगंध से धरती
पुण्यशलोका कहलाईं
तुम सम कोई नारी नाहीं
मेरी मात अहिल्याबाई
तुम सम कोई नारी नाहीं।।
✍️... पदमावती 'पदम'
आगरा।
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