केंद्र की मोदी सरकार 3.0 के आम बजट में पर्यावरण संरक्षण की नहीं की गई परवाह......

 

आम बजट 2024 में प्रकृति संरक्षण की बात नहीं, केवल सहयोगी पार्टियों की चिंता......

आम बजट में कैंसर की दवाइयों को सस्ती करने के बजाय कैंसरजन कारकों के उत्पादन और बेचान पर रोक को शामिल नहीं करना बेहद चिंताजनक......

जयपुर /राजसमंद /उदयपुर 24 जुलाई, 2024 केंद्र की मोदी सरकार 3.0 में पहले आम बजट में ऐसा कुछ खास देखने को नहीं मिला जो इंसानी दुनिया के साथ-साथ प्रकृति के लिए हितकारी हो । हालांकि बजट घोषणाओं में केंद्र की सत्ता में सहयोगी दलों को राजी करने का भरकस प्रयास किया गया है । देश की लगभग 144 करोड़ जनता जो की विभिन्न धर्मों, वर्गों, समुदायों, जातियों में विभक्त है, उन जातियों के जनगणना आंकड़े नहीं होने की स्थिति में उनके जन्म घनत्व के आधार पर बजट का बंटवारा नहीं किया गया जबकि देश की जनता के टैक्स से अर्जित राशि को ही बजट के रूप में वितरित किया जाता है । शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण प्रकल्प जिस पर कुल जीडीपी का लगभग 10% खर्च किया जाना चाहिए, उसे प्राथमिकता में नहीं लेना, देश की प्रगति के लिए बाधक साबित हो सकता है ।

            यह देश का दुर्भाग्य ही समझो कि ब्रह्मांड के एक मात्र ग्रह जिस पर जीवन संभव है "पृथ्वी" और इसके दूषित हो चुके पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी पर्यावरण हितकारी कदम नहीं उठाए गए हैं, ना ही मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कृषि में प्रयुक्त होने वाले कैंसरजन्य कारकों जैसे कीटनाशकों के प्रचलन, उत्पादन और बेचान तथा सिंगल उसे प्लास्टिक व मिलावटी डेयरी प्रोडक्ट पर कोई प्रतिबंध की बात कही गई है । केवल कैंसर की दवाओं के भावों में कमी करना, यह प्रदर्शित करता है कि केवल सरकारों को मुनाफाखोरी चाहिए, चाहे प्रकृति और मनुष्य जाति की जान ही क्यों चली जाए । वैसे भी किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपने पार्टी के घोषणा पत्र में पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को तवज्जो नहीं दिया है । केवल मानव की स्वार्थ पूर्ति से संबंधित विषयों को ही बजट को केंद्र में रखा है जो विध्वंसकारी और विनाशकारी विचारधारा साबित हो सकती है । बजट में कई चीजों पर एक्साइज ड्यूटी घटाई तो कहीं पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई । ऐसे में आम जनता को क्या इस बजट से मिला है, यह बेहद ही विचारणीय है ।

                मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट में आम आदमी के लिए मोबाइल फोन और डाटा सस्ता कर दिया गया है । मोबाइल चार्ज और बैटरी भी सस्ती कर दी गई है । इसके साथ ही सोलर पैनल भी सस्ते हो गए हैं , सोलर सेल सस्ते हो गए हैं ।चमड़े की वस्तुएं भी सस्ती हो गई है, गहने जिसमें सोना, चांदी, हीरा और प्लैटिनम के जो गहने हैं उनको भी सस्ता कर दिया गया है । स्टील और लोहे को सस्ता कर दिया गया है, इलेक्ट्रॉनिक्स को सस्ता कर दिया गया है । धार्मिक यात्राओ को सस्ता कर दिया गया है, समुद्री भोजन जो है वह भी सस्ते कर दिए गए हैं । फुटवियर को सस्ता कर दिया गया है, कैंसर की दवाइयां सस्ती हो गई है जिससे अब इंसान जो कैंसर का इलाज करवा रहे है उसका इलाज आसानी से हो सकेगा । इंपोर्टेड ज्वेलरी जो है वह सस्ती कर दी गई है, इलेक्ट्रिक गाड़ियां जो है वह सस्ती कर दी गई है । लिथियम बैटरी सस्ती कर दी गई है, 25 आवश्यक खनिज जो है वह सस्ते कर दिए गए हैं। इसके अलावा जूते, चप्पल, दूरसंचार उपकरण, पीवीसी, प्लास्टिक के सामान, हवाई सफर महंगा हो गया है । सिगरेट जो है वह महंगी हो गई है, पेट्रोल, केमिकल, महंगा हो गया है । अमोनियम नाइट्रेट  महंगा हो गया है । स्टील और लोहा यह सस्ता हो गया है, स्पेसिफाइड दूरसंचार उपकरण महंगा है, इलेक्ट्रॉनिक सामान सस्ता हो गया है, पीवीसी फ्लेक्स और बैनर जो है वह भी महंगे हो गए हैं, पेट्रोकेमिकल महंगा हो गया है, सोना चांदी जो है वह सस्ती हो गई है । मशीन जो है वह सस्ती हो गई है, बहुत सारी चीज सस्ती करने की कोशिश मोदी सरकार 3.0 में पहले आम बजट में देखने को मिली है ।

                सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण विषय ओल्ड पेंशन स्कीम (ओ पी एस)की कोई चर्चा इस बजट में नहीं की गई । ना ही स्वयं मोदी जी द्वारा वर्गीकृत किए गए चार वर्ग गरीब, किसान, युवा और मातृशक्ति के लिए कोई विशेष तत्कालीन लाभ पहुंचाने वाली घोषणाएं की गई । कुल मिलाकर केंद्र की मोदी सरकार 3.0 में देश के 144 करोड़ देशवासियों और उनके जीवन के लिए जरूरी पर्यावरण संरक्षण तथा स्वास्थ्य की चिंता नहीं करना बेहद ही विचारणीय और चिंतनीय है ।

इनका कहना है..... केंद्र की मोदी सरकार 3.0 में समस्त राजकीय कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने या नहीं करने तथा पर्यावरण संरक्षण, सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्णतया प्रतिबंध, कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों के प्रचलन की रोकथाम और मिलावटखोरी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को बजट से दूर रखा जाना बेहद ही निराशाजनक है ।
कैलाश सामोता "रानीपुरा" पर्यावरणविद शिक्षक, शाहपुरा, जयपुर (राजस्थान)

पाल वर्ल्ड टाइम्स की खबरों को शेयर करें और सोशल मीडिया पर भी फॉलो करना न भूलें।