
विवाह विच्छेद का बढ़ता प्रमाण समाज के लिए वर्तमान में चिंता का गंभीर विषय है। वर्तमान में युवा पीढ़ी आधुनिकता की अविराम दौड़ में शामिल नजर आती है।समाज में बढ़ते विवाह विच्छेद के मामले अचानक तीव्रता से बढ़ गये, इसके कुछ कारण प्रथम दृष्टया जो समझ में आते हैं,वह पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण,लिव-इन- रिलेशनशिप का आकर्षण,प्रेम विवाह,स्वंय की मर्ज़ी से होने वाले विवाह में परिवारों का बेमेल होना,तुलनात्मक दृष्टिकोण,सामाजिक और आर्थिक दबाव इन कारणों से विवाह विखंडन के मामले अधिक दृष्टिगत होते हैं। माता-पिता के मर्जी के अनुसार होने वाले अरेंज मैरिज में कमी आई है, युवा पीढ़ी आधुनिकता का हवाला देते हुए, प्रेम विवाह, लिव-इन-रिलेशनशिप में रहना अधिक पसंद कर रहे हैं,यह वर्तमान पीढ़ी का स्टेटस सिंबल बनते जा रहा है।लिव-इन मे रहने वाले लड़का लड़की दैहिक आकर्षण से एक दूसरे से क्षणिक रिश्ते बनाते हैं। परंतु वास्तविकता यह है,कि आजकल यह एक सामाजिक समस्या बन गया है एवं युवाओं के लिए घातक परिस्थितियों निर्माण कर रहा है। साथ-साथ रहते-रहते कुछ चंद महीनों में ही यह आकर्षण कम होने लगता है और एक दूसरे से उबने लग जाते हैं,इस उबाऊ पन से भी वैवाहिक जीवन में विवाद बढ़ते है और एक दूसरे के साथ रहना दुभर हो जाता है परिणाम स्वरूप दोनों के रास्ते अलग हो जाते है,रिश्ते का अंत हो जाता है।लिव-इन- रिलेशनशिप में रहने वाले युवाओं को समाज हे्य दृष्टि से देखता है।इसी प्रकार प्रेम विवाह भी क्षणिक आकर्षण से ही किए जाते हैं।थोड़ी भी परिस्थितियां विपरीत होती है या आर्थिक,शारीरिक कोई मुश्किल आती है,तो इसमें विवाह विच्छेद के कारण निर्माण हो जाते हैं।इस विवाह में माता-पिता की सहमति न होने से,समाज की भी स्वीकृति नहीं होती।लड़का लड़की के मत से विवाह होने के कारण अगर उनके पार्टनर में परिपक्वता और जिम्मेदारी का एहसास है,तो विवाह की आयु लंबी हो सकती है,परंतु प्रेम विवाह में थोड़े समय पश्चात आकर्षण के घटते ही विश्वास की कमी देखी जाती है,और यह कारण भी विवाह विच्छेद की ओर ले जाता है। सामाजिक, पारिवारिक हस्तक्षेप से और संस्कृति से परे यह विवाह दबाव मुक्त होते हैं,इस वजह से रिश्ते निभाने की कोई मजबूरी या जिम्मेदारी लड़का लड़की पर नहीं होती इसलिए इनका मन भय मुक्त होता है,स्वतंत्र विचारों से विवाह करने के कारण आज की युवा पीढ़ी विवाह विखंडन के फैसले आसानी से ले लेते हैं, इसमें माता-पिता नाराज होने के कारण कोई भी हस्तक्षेप करने में असमर्थ होते हैं क्योंकि यह विवाह स्वयं मर्जी से किया होता है इसलिए लड़का लड़की माता-पिता से कोई मदद या सलाह भी नहीं ले सकते। इसी प्रकार आज की युवा पीढ़ी का विवाह के पश्चात दोनों का तुलनात्मक दृष्टिकोण होने से भी एक दूसरे से दुर्व्यवहार करते हैं कभी-कभी यह लड़ाइयां इतनी बढ़ जाती है की आत्महत्या या हत्या जैसे अपराधीक मोड पर पहुंचा देती है,समाज में ऐसे कई मामले विगत वर्षों में हम देखते चले आ रहे है।युवा पीढ़ी में संस्कारों की,सहनशीलता की कमी से विवाह विखंडन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पुराने समय माता-पिता के हस्तक्षेप से होने वाले विवाहों से दो परिवारों के बीच एक अटूट रिश्ता बनता था,जिम्मेदारी का एहसास लड़का लड़की दोनों में होता था।मुश्किल घड़ी में साथ निभाने का जज्बा भी दोनों में होता था,इसलिए अरेंज मैरिज में तलाक के प्रमाण नहीं के बराबर होते थे उन पर पारिवारिक, सामाजिक और संस्कृतिक दबाव होने के कारण उनका विवाह विच्छेद के बारे में कल्पना करना भी पाप की श्रेणी में माना जाता था। परंतु समय परिवर्तन के साथ-साथ वर्तमान स्थिति में युवा पीढ़ी की सोच में आधुनिकता के असर ने परिवर्तन लाया है, माना कि कानून व्यवस्था ने आज नारी को विस्तृत अधिकार दिए हैं परंतु इन अधिकारों का प्रत्यक्ष: सही दिशा में ही पालन हो रहा है इस पर संदेह है इसका दुरुपयोग भी हमें समझ में आधुनिकता की आड़ में देखने को मिल ही रहा है।अब पति पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है इस कहावत पर युवा पीढ़ी का कोई विश्वास नहीं होता है,यह कहावत अब उपहास की पात्र बन गई है, अपने परिवार, समाज और अपनी संस्कृति से दूर भागती युवा पीढ़ी, धीरे-धीरे विवाह के बंधनों से भी भागती नजर आ रही है,उनके इसी उदासीनता के कारण समाज में विवाह विच्छेद के मामलों मे अधिकता आई है,समाज के हर वर्ग में सामंजस्य कम दृष्टिगत हो रहा हैं।
प्रस्तुति :-एड.चित्रा धोटे भोपाल
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