नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 18 दिन पूरे कर चुका है। किसान अपनी मांग से टस-मस नहीं हुए हैं। पांच दौर की वार्ता के बाद आगे की बातचीत ठहर गई है। इस ठहराव को खत्म करने और आंदोलन से बने संकट से निजात दिलाने को अब सरकार संकटमोचक ढूढ़ रही है। सरकार के संकटमोचक के तौर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह या फिर राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का नाम सामने आ रहा है। कहा जा रहा है कि किसानों से अगले दौर की संभावित वार्ता में इन दोनों में से कोई एक मंत्री शामिल हो सकता है।राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश जैसे बड़े कृषि प्रधान राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और केंद्र में कृषि मंत्री भी। उनकी साख गांव, गरीब-किसान हितैषी के तौर पर है। सहजता से किसी से भी मिलना और उनके साथ बातें करने का उनका अंदाज लोगों पर प्रभावशाली असर डालता है। विरोधी दलों में भी उनकी पैठ है और लोग उन पर भरोसा करते हैं। मुख्यधारा की सियासत का लंबा अनुभव है और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। उनके पास अभूतपूर्व संगठनात्मक क्षमता है।
कुछ ऐसी ही साख नितिन गडकरी की है।संघ शिक्षित गडकरी के पास भी जबरदस्त संगठनात्मक क्षमता है। संगठन और मुख्यधारा की सियासत का लंबा अनुभव है। महाराष्ट्र में मंत्री रहते और अब केंद्र में सड़क परिवहन, राजमार्ग मंत्री रहते उन्होंने अपने काम से लोगों में जो भरोसा बनाया है, बीते सात साल में मोदी सरकार का शायद ही कोई मंत्री यह साख अर्जित कर पाया हो। गडकरी अपने काम से लोगों का भरोसा जीतने वाले मंत्री कहे जाते हैं। कारपोरेट हो, सामान्य कारोबारी या फिर छोटे-मझोले उद्यमी, गडकरी को सभी गंभीरता से लेते हैं। विरोधी दलों में भी उनकी पैठ और संबंध है।
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