राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसान संघ का एमएसपी को लेकर प्रदर्शन

बीते 20 दिनों से दिल्ली के सीमावर्ती इलाक़ों में किसान नए कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की माँग कर रहे हैं और सड़कों पर डटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसान संघ भी नए क़ानूनों से ख़ुश नहीं हैं और वे इसमें संशोधन की बात कर रहे हैं.

हालांकि ये लोग दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन करने वाले किसानों के साथ शामिल नहीं हैं.

ऐसे में मंगलवार को मध्यप्रदेश के इंदौर- उज्जैन संभाग के किसान सड़क पर उतरे और कपास-मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) नहीं मिलने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने किया था. किसानों के मौजूदा प्रदर्शनों के बीच संघ से जुड़े किसानों ने पहली बार एमएसपी की माँग के साथ कोई सार्वजनिक प्रदर्शन किया है.

इस प्रदर्शन के साथ ही प्रदेश में किसानों को लेकर राजनीति तेज़ हो गई है. जहां भोपाल में आयोजित किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए कृषि क़ानूनों को क्रांतिकारी बताया वहीं कांग्रेस ने घोषणा की है कि किसानों के समर्थन और नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ वो भी सड़कों पर उतरेगी.

इंदौर- उज्जैन संभाग के किसानों के साथ मिलकर भारतीय किसान संघ के लोगों ने दो राजमार्गो में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया.

यह आयोजन धार ज़िले के खलघाट में राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई रोड और खंडवा ज़िले के छैगांवमाखन में इंदौर-इच्छापुर स्टेट हाईवे पर किया गया.

बीकेएस के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बीबीसी को बताया, "यह इलाक़ा कपास के लिए जाना जाता है. लेकिन किसानों के लिये कुछ भी व्यवस्था नहीं की गई है जिसकी वजह से किसानों को मजबूर होकर अपनी फ़सल को एमएसपी से नीचे बेचना पड़ रहा है."

हाईवे पर किसानों ने कुछ घंटों तक सड़क पर आवाजाही को रोक दिया. किसानों की कुल 24 माँगें है इनमें प्रमुख माँग है कि कपास को एमएसपी दर पर लिया जाना चाहिए और किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिले.

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