
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में 4G इंटरनेट बहाली के बाद भारत सरकार एक बार फिर विदेशी राजनयिकों को सूबे का दौरा कराने का सिलसिला शुरू करने जा रही है. इस कड़ी में 17 फरवरी को करीब दो दर्जन विदेशी राजनयिकों को जम्मू कश्मीर ले जाया जाएगा, जिसमें 6 से अधिक यूरोपीय मुल्कों के राजनयिक भी शामिल हैं.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस दौरे की तस्दीक करते हुए कहा कि इस दल में अफ्रीका से लेकर मध्य एशिया और यूरोप तक विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं. हालांकि सुरक्षा कारणों से अभी इस दौरे से जुड़ी अधिक जानकारियों को साझा नहीं किया जा रहा है. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद विदेशी सरकारी मेहमानों को ले जाने वाला यह चौथा दौरा होगा. इससे पहले यूरोपीय सांसदों और भारत में तैनात विदेशी राजनयिकों के दल ले जाए गए थे.
महत्वपूर्ण है कि एक साल पहले यानी 12 फरवरी 2020 को भी भारत सरकार ने 25 विदेशी राजनयिकों को कश्मीर के दौरे पर भेजा था. इस दल के साथ विदेश मंत्रालय में सचिव विकास स्वरूप को भी भेजा गया था. पिछले दौरे की ही तरह इस बार भी विदेशी मेहमानों को सूबे की एक झांकी और पाकिस्तानी साज़िशों की बानगी दिखाने का प्रयास किया जाएगा.
जम्मू कश्मीर में जिला स्तर पर डीडीसी के हालिया चुनावों के बाद 17 फरवरी को होने वाला विदेशी राजनयिकों का यह दौरा अगस्त 2019 में धारा 370 और 35A हटाने के बाद किए गए बदलावों को दिखाने का मौका होगा. इसे जनवरी 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई सदस्यता संभालने के बाद की जा रही भारत की बड़ी कूटनीतिक कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.
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