उत्तराखंड त्रासदी: उम्मीदें खत्म, चमत्कार की आस में प्रार्थनाएं कर रहे पीड़ितों के परिजन

उत्तराखंड के चमोली जिले में त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हुए तपोवन प्रोजेक्ट की सुरंग से शवों की बरामदगी के बाद अब वहां फंसे हुए लोगों के जीवित बचने की उम्मीदें लगभग खत्म हो गई हैं। फिर भी कई लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई चमत्कार होगा और उनके परिजन मलबे-कीचड़ से जिंदा बाहर निकल आएंगे। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले हरि सिंह के भतीजे त्रिपन सिंह लापता हैं। वह तपोवन क्षेत्र में कैंपिंग कर रहे थे। त्रासदी के बाद से ही लगातार प्रार्थना कर रहे हरि सिंह कहते हैं, "जब तक हम कुछ देख नहीं लेंगे, तब तक हम उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि चमत्कार होते हैं।"

जब परिवार के सदस्य अपनों की लाश की शिनाख्त कर रहे थे, वो नजारा रुला देने वाला था। चमोली के एसपी यशवंत चौहान कहते हैं, "परिवार के सदस्यों से शवों की पहचान करने के लिए कहना बहुत मुश्किल होता है। बहुत भारी दिल से हम यह काम करते हैं।"

7 फरवरी को जब यह आपदा आई, तब से टिहरी जिले के लॉयल गांव के आलम सिंह पुंडीर के परिवार के सदस्य लगातार प्रार्थना कर रहे हैं। तपोवन से जब उनके शव की पहचान करने के लिए फोन आया तो उनका परिवार बुरी तरह टूट गया। पुंडीर की बुजुर्ग मां मांझी देवी बेहोश हो गई और पत्नी सरोजनी देवी को गहरा सदमा लगा। पुंडीर अपने पीछे 4 बेटियां छोड़ गए हैं।

डीजीपी अशोक कुमार कहते हैं, "अधिकांश शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि बाढ़ ने लोगों को ज्यादा समय नहीं दिया, बल्कि सुरंग में बाढ़ आने के तुरंत बाद ही उनकी मौत हो गई होगी।"

बता दें कि 7 फरवरी की सुबह ग्लेशियर टूटने से आई त्रासदी में करीब 200 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से 53 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। त्रासदी के दिन के बाद से यह पहला मौका है, जब बचाव दल ने सुरंग के अंदर शवों की तलाश की है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है, "हमें आशंका है कि अभी यहां और शव मिलेंगे। वहीं अंदर फंसे बाकी लोगों से अभी भी कोई संपर्क नहीं हो सका है।"

इस समय बचावकर्मी सुरंग के अंदर और रैणी में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के पास काम कर रहे हैं। सुरंग के अंदर से शव मिलने के कारण बचाव दल धीरे-धीरे सुरंग खोद रहे हैं, ताकि शवों को कोई नुकसान न हो।

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